दुर्भिक्ष के बाद बाढ़ – इथिओपिअन भूख-बलि समस्या
इथिओपिया में अनेक दशकों के दुर्भिक्ष के बाद अंत में अब वर्षा हुयी। किन्तु उस वर्षा के फलस्वरूप नदियों में तेज़ी से पानी बढ़ने के कारण बाढ़ आ गई। अकाल के कारण सूखे हुए खेत, ज़मीन, रास्ते सब बाढ़ कारण कीचड़, दलदल से भर गए। ऐसे दुर्गम भाग में कई सप्ताह तक अन्न की आपूर्ति व पानी आदि नहीं पहुँचाया जा सका।
युनायटेड नेशन्स के मतानुसार एक साल के दुर्भिक्ष के कारण लगभग एक करोड़ इथिओपिअन्स की परिस्थिती बहुत ही गंभीर हो गई है। और अब बाढ़ ग्रस्त परिस्थिती और साथ में पहले पड़ा हुआ दुर्भिक्ष की नैसर्गिक आपत्ति के कारण अफ्रिका के दुर्गम भाग, संकटग्रस्त दक्षिण इथिओपिया में भूख-बलि की समस्या बढ़ती ही जा रही है।
इथिओपिया के सामाजिक नेता ‘श्री महम्मद अडेन’ ने कहा कि “पिछले दो वर्ष के भीषण दुर्भिक्ष अर्थात अलनिनो का दुर्लभ उदाहरण है।” उन्होंने आगे कहा, “शुरुआत में हमने अनाज खरीदने के लिए हमारे पशु बेच दिए। किंतु अब बाढ़ के कारण, मदद हमारे पास तक नहीं आ सकने के कारण, हमें शेष बचे प्राणियों का मांस खाना पड़ रहा है।”
पाठशाला में बच्चों को ओट मिल का केक और उनके परिवारवालों को युनायटेड नेशन द्वारा राशन पर गेहूँ दिए जाते हैं। सन् २०१५ में लगभग ३ लाख ५० हजार, पाँच साल से कम उम्र के, बच्चे कुपोषित घोषित किए गए हैं। आयशा नूर यह दो वर्ष की कुपोषित लड़की है, जिसकी माँ अपनी व्यथा बता रही थी, वह अपनी बेटी को दूध, तेल, घी बिलकुल भी नहीं दे सकती। अन्न, पानी की कमी के कारण कमज़ोर हुए और वर्षा के कारण जमे हुए (ठंड़ग्रस्त) जीव अपने जीवन की अंतिम घड़ियाँ गिन रहे हैं। अगले वर्ष के सितंबर माह तक फिर से सुख के दिन आने तक लाखों लोग भूख से तड़फते रहेंगे।
कई वर्षों के दुर्भिक्ष और उसके बाद बाढ़ की परिस्थिति से निर्माण होनेवाली आपत्ति के परिणाम सच में हमें समझना चाहिए।